Sunday, June 7, 2020

४२. देश हमें देता है सबकुछ

४२.  देश हमें देता है सबकुछ

देश हमें देता है सबकुछ, हम भी तो कुछ देना सीखे || धृ ० || 
सूरज हमें रोशनी देता, हवा नया जीवन देती है 
भूख मिटाने को हम सबकी, धरतीपर होती खेती है 
औरों का भी हित हो जिसमेँ, हम ऐसा कुछ करना सीखे || १ || 

गरमी की तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते है छाया 
सुमन सुगंध सदा देते है, हम सबको फूलों की माला 
त्यागी तरुओं के जीवन से, हम परहित  कुछ करना सीखें ।। २ ।।

जो अनपढ़ है उसे पढ़ाए, जो चुप है उनको वाणी दे 
पिछड़ गए जो उन्हें बढ़ाए, समरसता का भाव जगा दे 
हम मेहनत के दीप जलाकर, नया उजाला करना सीखें ।।३।।




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