हम सब हैं हिंदू संतान
जिए हमारा हिन्दुस्थान ।।धृ०।।
एक अतुल हम सबका मूल
हमको भिन्न समझना भूल
संप्रदाय रूचि के अनुकूल
है श्रद्धा के ही संस्थान ।।१।।
इतने ज्ञानी ध्यानी धीर
इतने दानी मानी वीर
इतने अधिक गुणी गंभीर
कौन देश कर सका प्रदान ।।२।।
ऐसा देश कौन है और
ऐसी जाती कहाँ किस ठोर
रहे रहेंगे हम सिरमौर
हमको है निज कुलकी आन ।।३।।
उठो बंधुगण करो विवेक
जैसे होवो जाओ एक
रक्खो हिंदूपन की टेक
हो चाहे जितना बलिदान ।।४।।
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