Monday, June 15, 2020

५४ . यही मंत्र है यही साधना

५४ . यही मंत्र है यही साधना 

यही मंत्र है यही साधना ग्राम ग्राम में जायेंगे 
हिन्दू हिन्दू जुटा जुटा कर सबको शाखा लाएंगे ।।धृ ०।।

विस्मृति में जो दबा पड़ा वह समाज हम चेताएंगे 
मानसपर है जमी राख जो सत्वर उसे हटाएंगे 
चिंगारी प्रकटेंगी उसमें अपने दोष जलाएंगे ।।१।।

अपना देश धरित्री प्यारी माँ का रूप निहारेंगे 
हम है सारे सपूत उसके बंधुभाव विकसायेंगे 
ऊंच नीच सब भेद हटाकर समता ममता लाएंगे ।।२।।

अपने पुरखों की धरती का बीता गौरव लाएंगे 
इसी हेतु हम अपना सब कुछ अर्पित करते जायेंगे 
केशव के चिंतन में था जो हिन्दुराष्ट्र सरसाएँगे ।।३।।

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