भारत म्हारो देश पूटरो वेश कि धन धन भारती
बोलो जय-जयकार उतारो आरती, ओ उतारो आरती
।। धृ ० ।।
सोना उगले धरती अम्बर मोतीडा बरसावे रे
मुलकै सूरज चांद गीत कोयलडी मीठा गावे रे
हिमगिरि योगीराज शीश पर ताज कि गंगा वारती
समदरिया री लहरां चरण पखारती… ओ ऊतारो आरती ।।१।।
कुण भूलेलो राणा नै चेतक नै हल्दीघाटी नै
वीर शिवा सो सूर कठै दुनियां पूजै आ माटी नै
रणचंडी रो मोड दुर्ग चितौड कि मौत भी हारती
जौहर री लपटां नै रोज निहारती… ओ ऊतारो आरती ।।२।।
तिलक गोखले भगत बोस बापू झांसी री महाराणी
जौहर देख जवानां रो तू बता कठै ईतरो पानी
गीता रो उपदेश कर्म संदेश कृष्ण सा सारथी
आज भरतरी धरा विश्र्व ललकारती… ओ ऊतारो आरती ।।३।।
केशव माधव रो संघनाद जन जन रो हियो गुंजावे रे
आत्मत्याग और देशप्रेम रो सबने पाढ पढावे रे
भगवा ध्वज री आन देश री शान सदा सिंगारती
संगठना री शक्ति देश संवारती… ओ ऊतारो आरती ।।४।।
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