सत्य का आधार लेकर, हम हिमालय से खड़े हैं।
शील में, औदार्य में हम, विश्व में सबसे बड़े हैं।।धृ।।
संघ की शाखा निरंतर, शक्ति की आराधना हैं।
राष्ट्र की नवचेतना के, जागरण की साधना हैं।
ध्येय पथ पर अडिग होकर, पैर अंगद से गडेे हैं।।१।।
विश्व में फहराएंगे हम, देव संस्कृती की पताका।
जगत को संदेश देंगे, हिन्दुओ की एकता का।
दूर कर अवरोध सारे, ध्येय पथ पर हम बढे हैं।।२।।
जीत ले विश्वास सब का, कर्म कौशल के सहारे।
बुद्धी बल से नष्ट कर दे, शत्रु के, षडयंत्र सारे।
संगठन का मार्ग दुर्गम, नियम संयम से चले हैं।।३।।
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