एक संस्कृति एक धर्म है एक हमारा नारा।
एक भारती की संतति हम भारत एक हमारा॥धृ०।।
दैनिक शाखा संस्कारों से सीखें नित्य नियम अनुशासन।
मातृभूमि प्रति अक्षय निष्ठा करें समर्पित हम तन मन धन।
भरतभूमि का कण कण तृण तृण है प्राणों से प्यारा॥१॥
रूढ़ि कुरीति और विषमता ऊँच-नीच का भाव मिटाकर
संगठना की शंख ध्वनिसे बन्धु बन्धु का भाव जगाकर।
नव जागृति का सूर्य उगा दें है संकल्प हमारा॥२॥
जाति पन्थ का भेद भूलकर प्रान्त मोह का भूत भगाये
भाषाओं का अहं मिटाकर एक राष्ट्र का भाव जगायें
हिन्दु हिन्दु सब एक रहें मिल है कर्तव्य हमारा॥३॥
अपने शील तेज पौरुष से करें संगठित हिन्दू सारा
धरती से लेकर अम्बर तक गुँज उठे जय भारत प्यारा।
प्रतिपल चिन्तन ध्येय -देव का जीवन कार्य हमारा॥४॥
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