साधक बन हम आज जा रहें मन में ऐसा भाव रहे ।
अपना व्रत हम पूर्ण करेंगे जीवन की यह साद रहे ॥ध्रु॥
हिंदुराष्ट्र के अंगभूत हम यही भावना नित्य रहे ।
माँ का पूजन साधक तनसे मन में ऐसा भाव रहे ॥१॥
नयनोंमें माँता का वैभव मन में माँ की पीड रहे
पूर्ण करेंगे स्वप्न नयन के मन में यह संकल्प रहे ॥२॥
अपने सुख की क्या चिंता है पद कीर्ती की क्या ममता है
अडिग रहेंगे चरण मार्ग में जीवन की यह टेक रहे ॥३॥
No comments:
Post a Comment