Thursday, June 18, 2020

६६. चाहिये आशिश माधव

६६. चाहिये आशिश माधव

चाहिये आशिष माधव नम्र गुरुवर प्रार्थना ॥धृ॥

देव इंगित पर तुम्हारे ध्येय पथ पर बढ रहे हैं
आपसे ज्योतित अनेकों दीप अविचल जल रहे हैं
राष्ट्र जीवनका गहन तम शीघ्र ही मिटकर रहेगा
मातृमंदिर में विभूषित दिव्य तव आराधना ॥१॥

संकटोंसे पूर्ण पथ पर पुण्य स्मृति तव मार्गदर्शक
फूल होंगे शूल सारे मित्र होंगे सब विरोधक
दीजिये वर शक्ती ऋषिवर बढ सके पथ पर निरन्तर
कर सके साकार गुरुवर आपकी हम कल्पना ॥२॥

शत्रु को भी जीतता था आपका चारित्र्य उज्वल
निन्दकोंपर मात करता आपका व्यवहार निर्मल
मातृभू की वेदना जो आपके उर में बसी थी
पा सके अल्पांश भी तो पूर्ण होगी साधना ॥३॥

पूज्य केशव थे भगीरथ साथ लाये संघ धारा
इष्ट उनकों मान तुमने भाग्य भारतका सँवारा
लक्ष की द्रुत पूर्ती हो हम माँगते आशिष तुमसे
कर सके हम शीघ्र पूरी मातृभूकी अर्चना ॥४॥

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