व्यक्ती व्यक्ती में जगाये राष्ट्र चेतना
जनमन संस्कार करे यही साधना ।
साधना नित्य साधना साधना अखंड साधना ॥ध्रु॥
नित्य शाखा जान्हवी पुनीत जलधरा
साधना की पुण्यभूमी शक्ती पीठीका
रजः कणों में प्रकटें दिव्य दीप मालिका
हो तपस्वी के समान संघ साधना ॥१॥
हे प्रभो तू विश्व की अजेय शक्ती दे
जगत हो विनम्र ऐसा शील हमको दे
कष्ट से भरा हुआ ये पंथ काटने
ज्ञान दे की हो सरल हमारी साधना ॥२॥
विजयशाली संघबद्ध कार्यशक्ती दे
तीव्र और अखंड ध्येय निष्ठा हमको दे
हिंदु धर्म रक्षणार्थ वीर व्रत स्फ़ुरे
तव कृपा से हो सरल हमारी साधना ।।३।।
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