Thursday, July 9, 2020

१२७ . जागो तो इक बार हिँदू जागो रे ॥ध्रु.॥

१२७ . जागो तो इक बार हिँदू जागो रे ॥ध्रु.॥

जागो तो इक बार हिँदू जागो रे ॥ध्रु.॥

जागे थे जब वीर शिवाजी । भाग गये सब मुल्ला काझी ॥

चमक उठी तलवार जागो रे..॥

जागी थी झांशी की राणी । खूब लढी पर हार न मानी ॥

मचा दिया संग्राम जागो जागो रे..॥

जागे थे जब प्रताप राणा । दिखा दिया रजपूती बाणा ॥

हुआ महासंग्राम जागो जागो रे..॥

जागे थे गुरुगोविँद प्यारे । सत्‌श्रीअकाल लगे थे नारे ॥

बचा दिया गुरुद्वार जागो जागो रे..॥

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