Sunday, July 12, 2020

१५४ . यह न मेरा राष्ट्रका है

१५४ . यह न मेरा राष्ट्रका है

यह न मेरा राष्ट्रका है राष्ट्रहित ही सब समर्पित 
मंत्र माधव यह तुम्हारा निज ह्रदय में कर प्रतिष्ठित 
मंत्र से अभिभूत हम भी कोटि हृदयोंको करेंगे 
हम तुम्हारी जन्मशती में आज यह संकल्प लेंगे ।।धृ०।।

शील सद्गुण आप से राष्ट्र अर्पित साधना 
आपसी निर्मोह वृत्ती स्नेह और संवेदना 
कष्ट सहकर रात दिन भी वह सब अर्जित करेंगे ।।१।।

स्फूर्ति पाई तव वचन से साधना से प्रेरणा 
स्नेहमय व्यवहार पाया मार्गदर्शक योजना 
आप से ऋषिवर मिला जो हम सभी वितरित करेंगे ।।२।।

पार्थ केशव ने तुम्हे जो कर्म की गीता सिखायी 
सूक्ष्म ईश्वर की जनों में सर्व व्यापकता दिखाई 
दृष्टी वह पाकर तुम्ही से कर्मपथ पर हम बढ़ेंगे ।।३।।

आत्मविस्मृत हिन्दु को हिंदुत्व की अनुभूती दी 
और विघटित राष्ट्र को राष्ट्रीयता की दृष्टी दी 
संघ को व्यापक बनाया हम उसे विस्तृत करेंगे ।।४।।

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