Friday, July 10, 2020

१३७ . ग़लत मत कदम उठाओ

१३७ . ग़लत मत कदम उठाओ

ग़लत मत कदम उठाओसोच कर चलो, 
विचार कर चलो,
राह की मुसीबतों को पार कर चलो, पार कर चलो ॥ध्रु०॥

हम पे जिम्मेदारियां हैं देश की बड़ी,
हम न बदलें अपनी चाल हर घड़ी-घड़ी ।
आग ले चलो, चिराग ले चलो,
ये मस्तियों के रंग भरे भाग ले चलो ॥१॥

मंजिल के मुसाफिर तुझे क्या राह की फ़िकर,
चट्टान पर तूफ़ान के झोंकों का क्या असर ।
ये कौन आ रहा, अन्धेरा छा रहा,
ये कौन मंजिलों पे मंजिलें उठा रहा ॥२॥

मिल के चलो एक साथ अब नहीं रुको,
बढ़ के चलो एक साथ अब नहीं झुको ।
साज़ करेगा, आवाज़ करेगा,
हमारी वीरता पे जहां नाज़ करेगा ॥३॥

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