हिन्दु हिन्दु एक रहे भेद भाव को नही सहे
संघर्षो से दुखी जगत को मानवता की शिक्षा दे ॥धृ०॥
एक ब्रह्म कुछ और नही हरिहर दुर्गा माता वही
देव देवियां रूप उसीका देश काल अनुसार सही
सब पन्थों का मान करे सब ग्रंथो से ग्यान गहे
सदगुरुओं की सीख समझकर जीवन को जीना सीखे ॥१॥
जो भाई भटके बिछडे हाथ पकड ले साथ चले
भोजन कपडा घर की सुविधा शिक्षा सबको सुलभ रहे
उंच-नीच लवलेश न हो छुवा-छूत अवशेष न हो
एक लहू सब की नस-नस मे अपनेपन की रीत गहे ॥२॥
देशप्रेम अमृत पीये गीता गंगा गौ पूजे
वेद विहीत जीवन रचना हो राम कृष्ण शिव भक्ति करे
धर्म सनातन अनुगामी बुद्धम्-शरणम्-गच्छामि
अर्हंतोंको नमन करे नित वाहे गुरु अकाल कहे ॥३॥
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