Sunday, July 12, 2020

१५१ . हे ऋषिवर शत शत वंदन

१५१ . हे ऋषिवर शत शत वंदन

हे ऋषिवर शत शत वंदन ।।धृ०।।
हे महानतम संन्याशी 
हिंदुराष्ट्र के अभिलाषी 
जगकल्याणमयी संस्कृतीका 
करते थे पल पल चिंतन ।।१।।

हे विराट हे स्नेहागार 
हुए ध्येय से एकाकार 
गरलपान अमृत छलकाया 
इस युग में सागर मंथन ।।२।।

हे परिव्राजक राष्ट्रपुजारी 
तुमसे षडरिपु शक्तिहारी 
कोटी कोटी नवयुवक बढ रहे 
कर न्योछावर निज यौवन ।।३।।

हे अभिनव अनथक योगी 
निश्चित सत्य विजय होगी 
अखंड माँ वैभव ले प्रकटे 
दसो दिशा से यज्ञ सुगंध ।।४।।

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