देश के बहादुरो जागो जयातुरो
है समय प्रयाण का हिन्दु देश हिन्दु का
राष्ट्र धर्म के लिये जिये मरे ॥धृ॥
हम जवान देश के लाडले स्वदेश के
गति कभी रुके नही सर कभी झुके नही
पंथ आग से भरा डगमगा रही धरा
वात जोर जोर पे देह सब सखोर दे
पर विराम ले न हम बढे कदम बढे कदम ॥१॥
मत्त हो बढे चलो शृंग पर चढे चलो
आसमान भेद लो अंग मे लपेट लो
लक्ष्य अभी दूर है श्रम तनिक जरूर है
हिन्दु बन्धु साथ ले बंग सिंधु पूर्ण ले
विघ्न व्युह तोड कर बढे चलो बढे चलो ॥२॥
तन स्वजाती मे पले मन विजाती मे ढले
उस कृतघ्न पाप को गर्त बीच गाढ दे
जो चरित्रवान है वो सदा महान है
गाव गाव झूमती विजय पाव चूमती
राष्ट्रको उभार लो बहादुरो बहादुरो बहादुरो ॥३॥
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