Thursday, July 9, 2020

१३१ . संघ किरण घर घर देने को

१३१ . संघ किरण घर घर देने को

संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले
मौन तपस्वी साधक बन कर हिमगिरि सा चुपचाप गले ॥धृ॥

नई चेतना का स्वर दे कर जनमानस को नया मोड दे
साहस शौर्य हृदय मे भर कर नयी शक्ति का नया छोर दे
संघशक्ति के महा घोष से असुरोंका संसार दले ॥१॥

परहित का आदर्श धार कर परपीडा को हृदय हार दे
निश्चल निर्मल मन से सब को ममता का अक्षय दुलार दे
निशा निराशा के सागर मे बन आशा के कमल खिले ॥२॥

जन मन भावुक भाव भक्ति है परंपरा का मान यहाँ 
भारत माँ के पदकमलों का गाते गौरव गान यहाँ 
सब के सुख दुख में समरस हो संघ मन्त्र के भाव पले ॥३॥

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