Friday, July 17, 2020

१६९ . हे जन्मभूमि भारत हे कर्मभूमि भारत

१६९ . हे जन्मभूमि भारत हे कर्मभूमि भारत ।।धृ०।।

हे जन्मभूमि भारत, हे कर्मभूमि भारत
हे वंदनीय भारत, अभिनंदनीय भारत !!
जीवन सुमन चढ़ाकर आराधना करेंगे
तेरी जनम जनम भर हम वंदना करेंगे
                       हम अर्चना करेंगे ।।१।।
महिमा महान तू है, गौरव निधान तू है
तू प्राण है हमारी, जननी समान तू है
तेरे लिये जियेंगे, तेरे लिये मरेंगे
तेरे लिये जनम भर, हम साधना करेंगे
                            हम अर्चना करेंगे ।।२।।
जिसका मुकुट हिमालय, जग जगमगा रहा है
सागर जिसे रतन की, अंजुली चढ़ा रहा हे
वह देश है हमारा, ललकार कर कहेंगे
उस देश के बिना हम, जीवित नही रहेंगे
                            हम अर्चना करेंगे ।।३।।
जो संस्कृति अभी तक दुर्जेय सी बनी है
जिसका विशाल मंदिर, आदर्श का धनी है
उसकी विजय-ध्वजा ले हम विश्व में चलेंगे
सुर संस्कृति पवन बन हर कुंज में बहेंगे
                           हम अर्चना करेंगे ।।४।।
शाश्वत स्वतंत्रता का, जो दीप जल रहा है
आलोक का पथिक जो, अविराम चल रहा है
विश्वास है कि पल भर, रूकने उसे न देंगे
उस दीप की शिखा को, ज्योतित सदा रखेंगे
                            हम अर्चना करेंगे ।।५।।

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