संगठन का महामंत्र ले तरुणाई का ज्वार उठा
युग से सोये सुप्त हृदय में राष्ट्रभक्ती का ज्वार उठा
हिंदु हृदय ललकार उठा ॥धृ०॥
युग से सोये सुप्त हृदय में राष्ट्रभक्ती का ज्वार उठा
हिंदु हृदय ललकार उठा ॥धृ०॥
वेद उपनिषद रामायण की मुखरित कर शाश्वत वाणी
सिंहवाहिनी दुर्गा जागी भारतमाता कल्याणी
जीवनभर कर्तृत्व भाव से गीता का व्यवहार उठा ॥१॥
परंपरा है ऋषिमुनियोंकी संतोकी शाश्वत वाणी
वीर सुतोंके स्वाभिमान की कालजयी अमृत वाणी
मान बिंदुओंकी रक्षा हित फिर भीषण हुंकार उठा ॥२॥
विश्वविजय का स्वप्न धारकर कठिन परिश्रम करना है
समता ममता समरसता का भाव जगत में भरना है
मनमें दृढ संकल्प लिये फिर अमर पुत्र ललकार उठा ॥३॥
सूर्यवंश का महातेज ले शत्रुहृदय् दहलायेंगे
ब्रह्मतेज के तत्वज्ञान की ज्ञानशिखा लहरायेंगे
केशव-माधव की पुकार सुन सोया हिंदु जाग उठा ॥४॥
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