Thursday, July 9, 2020

१३० . स्वर्णमयी लंका न मिले माँ

१३० . स्वर्णमयी लंका न मिले माँ 

स्वर्णमयी लंका न मिले माँ अवधपुरी की धूल मिले ।।धृ ०।।

इंद्रासन वैभव नहीं प्यारा माता की गोदी प्यारी 
नमो नमो सब जग की जननी कणकण पर सुत बलिहारी 
पुष्पों की शय्या न मिले माँ कदम कदम पर शूल मिलें ।।१।।

तेरा सुख सर्वस्व हमारा तेरा दुख आव्हान बने 
तेरी शान बढ़ाते जाये मृत्यु विजय की शान बने 
आजीवन पतवार चढ़ाए धार मिले या पर मिलें ।।२।।

नयनों में ज्योतित रहना माँ शिर पर वर का कर रखना माँ 
रग रग में जीवन भरना माँ तुम्ही प्रेरणा का झरना माँ 
जीवनशक्ति समर्पित हो नित अमृतरस में मूल मिलें  ।।३।।

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