१८५ हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना।
हम जैसे रहते हैं , तुम भी रहो ना || धृ ० ||
बहती हुई नदियां देखो , कल-कल कल-कल बहती है ,
कल कल बहती है और , सागर में मिल जाती है।
नदियां यह कहती है , तुम भी मिलो ना ,
हम जैसे बहते हैं , तुम भी बहो ना
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना || १ ||
पत्थर की मूरत देखो , पहले तो यह पत्थर थी ,
घावों को सहते–सहते , कष्टों को सहते–सहते, मूरत यह बन गई है |
मूरत यह कहती है , तुम भी बनो ना
हम जैसे सहते हैं , तुम भी सहो ना
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना || २ ||
बागों के ये फुल देखो, खिल-खिल खिल-खिल खिलते है |
धूप हो या छांव हो, सर्दी होया गर्मी हो |
हरदम मुस्कुराते हैं |
फुल ये कहते है तुम भी हसों ना |
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना || ३ ||
जलता हुआ दीपक देखो , जगमग – जगमग करता है ,
स्वयम को जला कर , अंधेरा दूर करता है ,
दीपक यह कहता है , तुम भी जलो ना
हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना || ४ ||