Wednesday, June 12, 2024

१८६ स्वागत हे शिवराज तुम्हारा

 १८६  स्वागत हे शिवराज तुम्हारा


स्वागत हे शिवराज तुम्हारा

हिन्दु राष्ट्र के प्रखर शौर्य रवि

कोटि शीर्ष से तुम हो वन्दित।

कोटि बाहुबल से संपूजित

कोटि कन्ठ रव से आशीषित

युग-युग है तुम से उद्भासित

शस्त्र-शस्त्र का यह बल सारा ॥१॥


भूत भव्य भवितव्य विभव के

काल जयी हो तुम रथवाहक

भारत की आत्मा के भास्कर

साम स्वरों के तुम हो गायक

छिन्न भिन्न तेरी किरणों से

अंधकार की हो यह कारा ॥२॥


राष्ट्र शक्ति के उन्नायक हे

मुक्ति-मुक्ति के संधायक हे

धवल कीर्ति के अतुल तेज के

हिन्दु ह्रदय के अतुल तेज के

हिन्दु ह्रदय के राजेश्वर हे

स्रवती तेरे अमित शक्ति को

अविरल शत-शत निर्मल धारा ॥३॥


बरसाये आशीष देवगण

विजय श्री का करो वरण तुम

प्रेरक तत्त्व है तपः साधना

हिन्दु राष्ट्र को दे संजीवन

सदा तुम्हारे श्री चरणों में

अर्पित है सर्वस्व हमारा ॥ ४॥

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