८- श्री गुरु देवो जयतु माधवो राष्ट्र भक्ति योगी
श्री गुरु देवो जयतु माधवो राष्ट्र भक्ति योगी।
निवसतु ह्रदये विहरतु ह्रदये कोऽपि महायोगी |
जयतु संघ योगी ॥धृ०।।
भारत जननी पुण्य पावनी यस्यापरादेवता।
प्रदक्षिणामि रात्रिं दिवसं सततमाराधिता।
चिर प्रवासी मातृ दर्शने प्रेमी प्रखर विरागी॥१॥
स्मरणं मननं निदिध्यासनं संघ कार्य बंधूनाम
प्रिय बालानां नवयुवकानां प्रौढ़ानां स्थविराणाम्
संध्यावंदनमेतदविमरम् अहो ध्यान योगी॥२॥
सदा प्रसन्नम् विहसित वदनम् शुचि स्मृतं भाषणम्
स्नेह मधुरमवलोकनमनिशं यस्य मनो मोहनम्
दीन -विवासित बांधव करुणा जनसेवा योगी॥३॥
परमहंस इव धर्म -दर्शन महाप्रवचने स्वामी
संघटने श्री केशव इव यो धियो विश्वतोगामी
भगवद्ध्वज इव लोक वंदितो महा कर्मयोगी॥४॥
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