Friday, April 26, 2024

१८३ . सूत्रपात नवयुग बेला का, संवाहक हम सभी बनें |

१८३ . सूत्रपात नवयुग बेला का, संवाहक हम सभी बनें | 


 सूत्रपात नवयुग बेला का, संवाहक हम सभी बनें | 

कठिन परिश्रम और लगन से, नवयुग की पहचान बनें    ||धृ०||


राष्ट्र प्रथम जीवन में अपने, हर मन का उद्देश रहे |

गौरव बढे देश का जिससे,  यह जन-मानस लक्ष्य रहे | 

नवयुग की इस नव-गंगा के, जल-कण पावन सभी बनें ||१||


उत्सुक सज्जन सुप्त शक्ति का, लाना होगा नवल प्रवाह |

संचित शक्ति अथाह हिंदू की, प्रकटे यह जन-जन की चाह |

सुदृढ हो विस्तार कार्य सब, गति देकर उत्थान करें ||२|| 


जागृति-श्रद्धा बढे धर्म में, शीलवान परिवार सभी | 

पर्यावरण प्रफुल्लित करके, समरसता की राह गही | 

शिष्टाचार, स्वदेशी अपने अधिष्ठान की आन बनें ||३||


पश्चिम के चिंतन से थककर, विश्व विवश भारत की ओर |

बढी राष्ट्र की शक्ति सनातन, उठा गगन में स्वर घनघोर |

चलो बढे अब कर्मक्षेत्र में, गुरुता के प्रतिमान बनें ||४||

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