१७८ सद्विचार की नीव हमारी, शिव संकल्पित आज बनें
सद्विचार की नींव हमारी, शिव संकल्पित आज बनें
ईश्वरीय है कार्य हमारा, निमित्त बन हम कार्य करें ||धृ०||
हमे पता है मार्ग हमारा, कंटकमय और दुर्गम है
विश्वास सदा रहा है मन में, यही हमारा संबल है
चलते चलते लक्ष्य प्राप्ति हित, मार्गक्रमण हम करते हैं ||१||
सत्ता पद की चकाचौंध में, मार्ग कहीं हम ना छोडे
साधन को ही साध्य मानकर, ना भूलें और ना भटकें
ना हम थकते, ना हम रुकते, मार्गक्रमण हम करते हैं ||२||
धन्य हुआ है जीवन अपना, मातृभूमि की सेवा में,
भारत हि है ईश्वर अपना, पूजा के हम दीप बने
राष्ट्रयज्ञ के साधक बनकर, मार्गक्रमण हम करते हैं ||३||
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