Sunday, December 17, 2023

१८० श्रीरघुवर जी के अवधपुरी में, प्राण प्रतिष्ठा होना है

 १८०  श्रीरघुवर जी के अवधपुरी में, प्राण प्रतिष्ठा होना है


श्रीरघुवर जी के अवधपुरी में, प्राण प्रतिष्ठा होना है

निमंत्रण को स्वीकार करो-अब सबको अयोध्या चलना है

जय बजरंगी जय हनुमान, वन्दे मातरम् जय श्री राम 

श्री राम जय राम जय जय राम, वन्दे मातरम् जय श्री राम ॥धृ०॥ 

इस मंदिर को पाने हेतु, बार बार संघर्ष हुआ।

रामभक्तों के बलिदानों से, मंदिर बनकर खड़ा हुआ।

अब मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा-2, धूम-धाम से होना है।

निमंत्रण को स्वीकार करो.. || १ || 

पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी को, प्राण प्रतिष्ठा होना है

 मंदिर में कीर्तन भजन हो, घर-घर दिया जलाना है 

मंदिर भव्य बनाकर हमने-2, अपना वचन निभाया है

निमंत्रण को स्वीकार करो. . || २ || 

गाँव-गाँव के मंदिर मठ में, सबको एकत्रित करना है

श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा, जन जन को दिखलाना  है,

श्री राम की प्रथम आरती-2, मिलकर सबको गाना है।

निमंत्रण को स्वीकार करो. . || ३ || 


१७९ महामंत्र हा नवविजयाचा, नव्या युगाचा नव पर्वाचा

 १७९  महामंत्र हा नवविजयाचा, नव्या युगाचा नव पर्वाचा


महामंत्र हा नवविजयाचा, नव्या युगाचा नव पर्वाचा

दाही दिशातुनी घुमते नाम, रामप्रभूचे सुंदर नाम ।

जय श्रीराम जय श्रीराम ॥धृ०॥


नवे पर्व हे हिंदुत्वाचे, संघशक्तिचे शिवशक्तीचे 

हिंदुमनांचा स्वामी राम, गंगेसम हे पवित्र नाम ।

जय श्रीराम जय श्रीराम ॥१॥


धर्म राखुया इथे निरंतर, खलप्रवृत्ती नुरो धरेवर

पुरुषार्थाचे मंगलधाम, रामप्रभूचे सुंदर नाम ।

जय श्रीराम जय श्रीराम ॥२॥


जीर्ण जातसे जेव्हा जळुनी, नवे येतसे सहज उजळुनी

छत्रपतींच्या स्वप्नांतले, हिंदूंचे हे सुवर्णयुग ये,

मुखी घेऊनी पवित्र नाम, जय श्रीराम जय श्रीराम ॥३॥


मंदिर बांधले जन्मभूमीवर, पराक्रमाने विशाल सुंदर

नवविजयाचा मार्ग दाखविल, जनशक्तीचा मंत्र महान ।

जय श्रीराम जय श्रीराम ॥४॥


लोकशाहीचा आद्य प्रणेता, सुजनशक्तिचा भाग्यविधाता

हिंदू युगाचा नायक राम, हिंदूंचा हा पंचप्राण ।

जय श्रीराम जय श्रीराम ॥५॥

१७८ सद्विचार की नीव हमारी, शिव संकल्पित आज बनें

१७८  सद्विचार की नीव हमारी, शिव संकल्पित आज बनें 


सद्विचार की नींव हमारी, शिव संकल्पित आज बनें 

ईश्वरीय है कार्य हमारा, निमित्त बन हम कार्य करें ||धृ०||

हमे पता है मार्ग हमारा, कंटकमय और दुर्गम है 

विश्वास सदा रहा है मन में, यही हमारा संबल है 

चलते चलते लक्ष्य प्राप्ति हित, मार्गक्रमण हम करते हैं ||१|| 

सत्ता पद की चकाचौंध में, मार्ग कहीं हम ना छोडे 

साधन को ही साध्य मानकर, ना भूलें और ना भटकें 

ना हम थकते, ना हम रुकते, मार्गक्रमण हम करते हैं ||२||

धन्य हुआ है जीवन अपना, मातृभूमि की सेवा में, 

भारत हि है ईश्वर अपना, पूजा के हम दीप बने 

राष्ट्रयज्ञ के साधक बनकर, मार्गक्रमण हम करते हैं ||३||