१८० श्रीरघुवर जी के अवधपुरी में, प्राण प्रतिष्ठा होना है
श्रीरघुवर जी के अवधपुरी में, प्राण प्रतिष्ठा होना है
निमंत्रण को स्वीकार करो-अब सबको अयोध्या चलना है
जय बजरंगी जय हनुमान, वन्दे मातरम् जय श्री राम
श्री राम जय राम जय जय राम, वन्दे मातरम् जय श्री राम ॥धृ०॥
इस मंदिर को पाने हेतु, बार बार संघर्ष हुआ।
रामभक्तों के बलिदानों से, मंदिर बनकर खड़ा हुआ।
अब मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा-2, धूम-धाम से होना है।
निमंत्रण को स्वीकार करो.. || १ ||
पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी को, प्राण प्रतिष्ठा होना है
मंदिर में कीर्तन भजन हो, घर-घर दिया जलाना है
मंदिर भव्य बनाकर हमने-2, अपना वचन निभाया है
निमंत्रण को स्वीकार करो. . || २ ||
गाँव-गाँव के मंदिर मठ में, सबको एकत्रित करना है
श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा, जन जन को दिखलाना है,
श्री राम की प्रथम आरती-2, मिलकर सबको गाना है।
निमंत्रण को स्वीकार करो. . || ३ ||