Monday, February 13, 2017

१७. हम युवा है हम करे मुश्किलों से सामना

 १७. हम युवा है हम करे मुश्किलों से सामना

हम युवा है हम करे मुश्किलों से सामना
मातृभूमी हित जगे है हमारी कामना ॥धृ॥

संस्कृती पली यहाँ पुण्य भू जो प्यारी है
जननी वीरों की अनेकों की भरत भू हमारी है
ऐसा अब युवक कहाँ दिल मे ज़िसके राम ना ॥१॥

ये कदम हजारों अब रुक ना पायेंगे कभी
मंझीलों पे पहुंचकर ही विराम ले सभी
ध्येय पूर्ती पूर्व अब रुक ना पाये साधना ॥२॥

ज्ञान के प्रकाश की ले मशाल हाथ में
शील की पवित्रता है हमारे साथ में
एकता के स्वर उठे छुनेको ये आसमाँ ॥३॥

आँधीयों में स्वार्थ की त्याग दीप ना बुझे
मातृभू को प्राण दूँ याद है शपथ मुझे
मै कहाँ अकेला हूँ साथ है ये कारवां  ॥४॥

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