Tuesday, August 16, 2022

१७५ . गुरु वंद्य महान

 १७५ . गुरु वंद्य महान

गुरु वंद्य महान भगवा एकचि जीवन प्राण
अर्पण कोटी कोटी प्रणाम ॥ध्रु०॥


शोणित वर्णामधुनी शिकलो सारे उज्ज्वल त्याग
व्यापित आलो दिव्य दृष्टिने अखंड भारतभाग
बघुनी फडफड देशभक्तिची भडके अंतरि आग
कटिबद्ध उभे तव छत्राखाली भारतभूसंतान ॥१॥


शौर्याने तव जगी गाजला स्फूर्तिप्रद इतिहास
पाहिलेस निज नेत्रांनी किति भीषण रणसंग्राम
देहदंड कुणि हाल भोगिले केले निज बलिदान
बलिदान नव्हे ते पूजन केले राखाया सन्मान ॥२॥


ऋषी तपस्वी महामुनींचा संतांचा अभिमान
अनादिकालापासुनीच तुज अग्रपुजेचा मान
बघशिल भावी भाग्यपूर्ण अन्‌ उज्ज्वल वैभवकाळ
हो यशस्वी असे सुमंगल दे शुभ वरदान ॥३॥


शुद्धशीलता चारित्र्याची पावित्र्याची खाण
अभय वीरता शौर्य धीरता संयम शांतिनिधान
सद्भावे तुज आम्ही मानिले पूज्य गुरु भगवान
परमपावना तव पदि वाही देशास्तव हे प्राण ॥४॥

Thursday, March 31, 2022

१७४ . परम वैभवी भारत होगा

 १७४ .  परम वैभवी भारत होगा


परम वैभवी भारत होगा,  संघ शक्ति का हो विस्तार 

गूंज उठे, गूंज उठे, भारत माँ की जय जयकार 

भारत माँ की जय जयकार ।।धृ।।


व्यक्ति और परिवार प्रबोधन, समरसता का भाव बढ़े

नित्य मिलन चिन्तन मंथन से, संगठना का भाव जगे

इसी भाव के बल से गूंजे,  देशभक्ति की फिर हुंकार  ।।१।।


हो किसान या हो श्रमजीवी, सैनिक या व्यवसायी हो

अध्यापक विद्यार्थी सेवक,  या जनजाती भाई हो 

उद्यमिता और स्वावलम्बिता, शिक्षा में हो ये संस्कार ।।२।।


हिन्दू संस्कृति कि संरचना, मानवता का रक्षण हैं

जीवदया सृष्टि की पूजा, यह स्वभावगत लक्षण हैं 

शुद्ध गगन पानी माटी से, निर्विकार बन बहे बयार ।।३।।


शुभ परिवर्तन करने को अब, हम ऐसा संकल्प करें 

अखंड भारत का वह सपना, सब मिलकर साकार करें 

बाधा कोई रोक न सकती, जन्मसिद्ध अपना अधिकार ।।४।।